मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल लोग साथ आते गए कारवां बनता गया..
लेखक✍✍✍
अपने भारत पुर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर पासिक पत्रिका निकाल ने की जिम्मेदारी पर ध्यान में आया कि क्यों ना इसे सप्ताहिक पेपर का रूप देकर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की स्मृति को हिंदी साहित्य जगत के आकाशगंगा बनाकर अपने प्रेरणा स्त्रोत को चिरस्थाई बना दिया जाए। और इसकी शुरुआत 25 मई 2018 को हुई जिसका नाम हिन्दी न्यूज़ पेपर रियासत का उजाला रखा गया।जो अपने साहित्य एवं समर्पण एवं उभरती हुई प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देती हुई आज तक निरंतर पाठकों को उपलब्ध हो रही है प्रत्यक्ष रूप से मैं अकेला ही इस पेपर का सर्वे सर्वा हूं।परंतु । लेखक, पाठक, मित्रगण और मेरे साथी मोहम्मद लियाकत, नूरे चश्म मोहम्मद चांद इस अखबार की रीढ़ है। इस सब की प्रेरणा से ही मैं एक और हिंदी सप्ताहिक अखबार का प्रकाशन करने में समर्थ हुआ जो केवल परीक्षाओं खबरों पर केंद्रित है और विश्वास के साथ समाज से जुड़ी सेवा भाव को समर्थ करता रहूंगा।मोहम्मद चांद प्रधान संपादक मोहम्मद लियाकत उप संपादक सहयोगी खबर लेखक बिलाल अली कैराना